लोगों से ई-वेस्ट लेकर कंपनी को लौटाएगा नगर निगम

नगर निगम के दो ट्रांसफर स्टेशन एमआर-5 और गऊघाट पर ई-वेस्ट एकत्र करने के लिए एक-एक ड्रम रखा जाएगा। उसका निपटान करने की जगह उसे उन्हीं कंपनियों को लौटाया जाएगा, जिन्होंने उसे बनाया है। हालांकि ई-वेस्ट लेने के लिए निगम जिम्मेदार नहीं है।

निगम अफसरों के अनुसार वर्तमान में हर तरह का कचरा निगम को मिल रहा है लेकिन उसमें ई-वेस्ट नहीं होता है। निगम ई-वेस्ट को लेकर भी जनजागरूकता चलाएगा। जिसमें उसने आग्रह किया जाएगा कि वे ई-वेस्ट को संबंधित कंपनियों के आउटलेट पर दें। कुछ कंपनियों ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। वे अपने यहां एक अलग डस्टबिन रखने लगी हैं, जहां पर उस कंपनी का कोई भी ऐसा उत्पाद जो काम नहीं आ रहा है, उसे फेंका जा सकता है। इसका निपटान कंपनी अपने स्तर पर करेगी। स्वास्थ्य विभाग के उपायुक्त योगेंद्र पटेल का कहना है कि अलग नीति होने के बावजूद निगम को ई-वेस्ट मिला तो उसके लिए ट्रांसफर स्टेशन पर एक-एक ड्रम रखवाया जाएगा।

घरों के साथ विभिन्न दुकानों में भी बड़ी मात्रा में ई-वेस्ट जमा हो गया है।

जानें क्या होता है ई-वेस्ट

ई-कचरा या इलेक्ट्रॉनिक कचरा तब बनता है जब इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद को उपयोगी के अंत के बाद छोड़ देते हैं। प्रौद्योगिकी के तेजी से विस्तार और खपत संचालित समाज का परिणाम है कि राेज बड़ी मात्रा में ई-कचरा निकल रहा है। ई-वेस्ट में ऐसे बिजली या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आते हैं जो एक बार खराब होने पर दुरुस्त नहीं होते। ई-कचरे का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव और पर्यावरण प्रदूषण होता है। सीपीयू जैसे इलेक्ट्रॉनिक कचरे में हानिकारक सामान जैसे सीसा, कैडमियम, बेरिलियम या ब्रोमिनेटेड जैसे पदार्थ होते हैं।

वह ई-वेस्ट जो हर घर में है

पुरानेे एसी, गिजर, पुरानेे बल्ब, आईटी उपकरण मॉनिटर सहित, टीवी, लैंप, खिलौने, चिकित्सा उपकरण, निगरानी व नियंत्रण उपकरण जैसे सीसीटीवी कैमरे, स्वचालित डिस्पेंसर आदि।

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